Book Title: Sirikummaputtachariyam Author(s): Ananthans, Jinendra Jain Publisher: Jain Adhyayan evam Siddhant Shodh Samsthan Jabalpur View full book textPage 6
________________ स म र्प ण Jain Education International अपनी मेधा एवं मौलिक चिन्तन से h प्राच्य वाङ्मय - प्राकृत एवं जैन साहित्य के चिन्तन- समीक्षण में सतत संलग्न तथा उसके विकास में अध्ययन-अध्यापन एवं शोध के माध्यम से विद्वानों की लम्बी श्रृंखला तैयार कर समाज को अपने बहुआयामी अवदानों से लाभान्वित करने वाले, ऐसे मनीषी गुरुवर एवं भ्रताश्री श्रद्धेय प्रोफेसर प्रेम सुमन जैन के कर-कमलों में सबहुमान समर्पित ! For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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