Book Title: Siddhant Swadhyaya Mala - Uttaradhyayan Dashvakalik Nandi Uvavai Sukhvipak Sutrakritang
Author(s): Hiralal Hansraj
Publisher: Hiralal Hansraj
View full book text ________________
५६)
श्रीजैनसिद्धान्त-स्वाध्यायमाला.
कामं तु देवीहि विभूसियाहिं, न चाइया खोभइउं तिगुत्ता । तहा वि एगन्तहियं ति नच्चा, विवित्तचासो मुणिणं पसत्थो ॥१६॥ मोक्खाभिकंखिस्स उमाणवस्स,संसारभीरुस्स ठियस्स धम्मे । नेयारिसं दुत्तरमत्थि लोए, जहित्थिओ बालमणोहराओ ॥ १७॥ एए य संगे समइक्कमित्ता, सुदुत्तरा चेव भवन्ति सेसा । जहा महासागरमुत्तरित्ता, नई भवे अवि गङ्गासमाणा ॥१८॥ कामाणुगिद्धिप्पभवं ख दुक्खं, सबस्स लोगस्स सदेवमस्स । ... जे काइयं माणसियं च किंचि, तस्सन्तगं गच्छइ वीयरागो ॥ १९ ॥ जहा य किम्पागफला मणोरमा, रसेण वण्णेण य भुज्जमाणा । ते खुड्डए जीविय पच्चमाणा, एओवमा कामगुणा विवागे ॥ २० ॥ जे इन्दियाणं विसया मणुन्ना न तेसु भावं निसिरे कयाइ । न यामणुन्नेसु मणं पि कुजा, समाहिकामे समणे तक्स्सी ॥ २१ ॥ चक्खुस्स चक्खं गहणं वयन्ति, तं रागहेउं तु मणुन्नमाहु । तं दोसहेउं अमणुन्नमाहु. समो य जो तेसु स वीवरागो ॥ २२ ॥ रूवस्स चक्खु गहणं वयन्ति, चक्खुम्स रूवं गहणं वयन्ति । रागस्स हेउं समणुन्नमाहु, दोसस्स - हेउं अमणुन्नमाहु ॥ २३ ॥ रूवेसु जो गेहिमुवेइ तिवं, अकालियं पावइ से विणासं । । रागाउरे से जह वा पयंगे, आलोयलोले समुवेइ मच्चु ।। २४ ॥ जे यावि दोसं समुवेइ तिवं, तंसिक्खणे से उ उवेइ दुक्खं । दुद्दन्तदोसेण सएण जन्तू, न किञ्चि रुवं अवरज्झई से ॥ २५ ॥ एगन्तरत्ते रुइरंसि रूवे, अतालिसे से कुणई पओसं । दुक्खस्स सम्पीलमुवेइ बाले, न लिप्पई तेण मुणी विरागा ॥ २६ ॥ रूवाणुगासाणुगए य जीवे, चराचरे हिंसइ तेणरूवे । चित्तेहि ते परितावेइ बाले, पीलेइ अत्तद्वगुरू किलिट्टे ॥ २७ ॥ रूवाणुवाएण परिग्गहेण, उप्पायणे रक्खणसन्निओगे । वए विओगे य कहं सुहं से, वए सम्भोगकाले य अतित्तलामे ॥ २८ ॥ रूवे अतित्ते य परिगहम्मि, सत्तोवसत्तो न उवेइ तुढेि । अतुढिदोसेण दुही परस्स, लोभाविले आययई अदत्तं ॥ २९ ॥ तण्हाभिभूयस्स अदत्तहारिणो, रूवे अतितस्स परिग्गहे य । मायामुसं वड्डइ लोभदोसा, तत्थावि दुक्खा विमुच्चई से ॥ ३० ।। मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य, पयोगकाले य दुही दुरन्ते । एवं अदत्ताणि समाययन्तो, रूवे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो ॥ ३१ ॥ रूवाणुरत्तस्स नरस्स एवं, कत्तो सुहं होज कयाइ किश्चि ।
Loading... Page Navigation 1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136