Book Title: Siddhant Swadhyaya Mala - Uttaradhyayan Dashvakalik Nandi Uvavai Sukhvipak Sutrakritang
Author(s): Hiralal Hansraj
Publisher: Hiralal Hansraj
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श्री उत्तराध्ययनसूत्र - चोत्तीस माध्ययनम्
॥ अह लेसज्झयणं चोत्तीसइमं अज्झयणं ॥
(६३)
४ ॥
लेसज्झयणं पवक्खामि, आणुपुविं जहकमं । छण्हंपि कम्म लेसाणं, अणुभावे सुहेण मे ॥ १ ॥ नामाई वण्णरसगन्धफासपरिणामलक्खणं । ठाणं ठिई गई चाउं, लेसाणं तु सुणेह मे || २ || कहा नीला य काऊ, तेऊ पहा तहेव य । सुक्कलेसा य छट्ठा य, नामाई तु जहक्कमं ॥ ३ ॥ जीसूपनिद्धसंकासा, गवलरिट्ठगसन्निभा । खंजणनयणनिभा, किण्हलेसा उ वण्णओ ॥ नीला सोगसं कासा, चास पिच्छ समप्पभा । वेरुलियनिद्धसंकासा, नीललेसा उ वण्णओ ॥ ५ ॥ oranges संकामा कोइलच्छदसन्निभा । सुयतुण्ड पईवनिभा, काउलेसा उ वण्णओ || ६ || हिंगुल घाउ संकासा, तरुणाइच्चसन्निभा । सुयतुण्ड पईवनिभा, तेऊलेसा उवण्णओ ॥ ७ ॥ हरियाल मेयसंकासा, हलिदाभेयसमप्पभा सणासणकुसुमनिभा पम्हलेसा उ वण्णओ ॥ ८ ॥ संकुन्दसङ्कासा, खीरपूरसमप्पभा । रयणहारसंकासा, सुकलेसा उवण्णओ ॥ ९ ॥ जह कडुयतुम्बगरसो, निम्बरसो कडुयरोहिणिरसो वा । एत्तो वि अणन्तगुणो, रसो य कि हाए नायवो ॥ १० ॥ जह तिगडुयस्स य रसो, तिक्खो जह हत्थिपिप्पलीए वा । एत्तो वि अणन्तगुणो, रसो उ नीलाए नायवी ॥ ११ ॥ जह परिणअम्बगरसो, तुवरकविट्ठस्स वावि जारिसओ । एत्तो वि अणन्तगुणो, रसो उ काऊण नायव्वो ॥ १२ ॥ जह परिणयम्बगरसो, पक्ककविट्ठस्स वावि जारिसओ । एत्तो वि अणन्तगुणो, रसो उ तेऊण नाय वो ॥ वरवारुणीए वारसो, विविहाण व आसवाण जारिसओ ।
१३ ॥
१५ ।।
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१७ ॥
महुमेरयस्स व रसो, एतो पम्हाए परएणं ।। १४ । खज्जूमुद्दियरसो, खीररसो खंडसक्करसो वा । एत्तो वि अनंतगुणो, रसो उ सुक्काए नायवी ।। जह गोमडस्स गंधो सुणगमडस्स व जहा अहिमडस्स। एत्तो वि अनंतगुणो, लेसाणं जप्पमत्थाणं जह सुरहिकुसुमगंधो, गंधवासाण पिस्समाणाणं । एत्तो वि अनंतगुणो, पसत्थलेसाण तिन्हं पि जह करगयस्स फासो, गोजिन्भाए य सागपत्ताणं । एत्तो वि अनंतगुणो, लेसाणं अपहत्थाणं ॥ जह बूरस्स व फासो, नवणीयस्म व सिरीस कुसुमाणं । एत्तो वि अणतगुणो, पसत्थलेसाण तिण्हंपि ।। तिविहो व नवविहोवा, सत्तावीसइवि हेक्कसीओ वा । दुसओ तेयालो वा, लेसाणं होइ परिणामो ॥ पंचासवप्पवतो, तीहिं अगुत्तो छसुं अविरओ य। तिवारंभ परिणओ, खुड्डो साहसिओ नरो ॥ २१ ॥ निद्धन्धसपरिणामो, निस्संसो अजिइन्दिओ । एयजोगस माउत्तो, किण्हलेसं तु परिणमे ॥ २२ ॥ इस्ता अमरिस चतवो, अविज्जमाया अहीरिय । गेही पओसे य सढे, पमत्ते रसलोलुए || २३ || सागवेस य आरम्भाओ अविरओ, खुड्डी साहस्सिओ नरो। एयजोगसमाउत्तो, नीललेसं तु परिणमे २४ के कसमायारे, नियड्डिले अणुज्जुए । पलिउंचगओवहिए, मिच्छदिट्ठी अणारिए || २५ ॥ उष्फासगदुदुवाई य, तेणे यावि य मच्छरी । एयजोगसमाउत्तो, काऊलेसं तु परिणमे ॥ २६ ॥
२० ॥
१८ ॥
१९ ।।
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