Book Title: Siddhant Swadhyaya Mala - Uttaradhyayan Dashvakalik Nandi Uvavai Sukhvipak Sutrakritang
Author(s): Hiralal Hansraj
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 66
________________ श्रीजैनसिद्धान्त-खाध्यायमाला. ॥ अह कम्मप्पयडी तेत्तीसइमं अज्झयणं । अट्ठ कम्माइं वोच्छामि. आणुपुत्विं जहाकम । जेहिं बद्धो अयं जीवो, संसारे परिवई ॥१॥ नाणस्सावरणिज, दसणावरणं तहा। वेयणिजं तहा मोहं, आउकम्मं तहेव य ॥ २ ॥ नामकम्मं च गोयं च, अन्तरायं तहेव य । एवमेयाइ कम्माइं, अद्वेव उ समासओ ॥ ३ ॥ नाणावरणं पञ्चविहं, सुयं आभिणिबोहि । ओहिनाणं च तइयं, मणनाणं च केवलं ॥ ४ ॥ निद्दा तहेव पयला, निद्दानिदा पयलपयला य । तत्तो यथीणगिद्धी उ, पंचमा होइ नायबा ॥५॥ चक्खुमचक्खूओहिस्स, दसणे केवले य आवरणे । एवं तु नवविगप्पं, नायवं ईसणावरणं ॥ ६ ॥ वेयणीयंपि य दुविहं, सायमसाहियं च अहियं । सायस्स उ बहू भेया, एमेव असायस्स वि ॥ ७ ॥ मोहणिज्जंपि च दुविहं, दंसणे चरणे तहा। दंसणे तिविहं वुत्तं, चरणे दुविहं भवे ॥ ८॥ सम्मत्तं चेव मिच्छत्तं, सम्मामिच्छत्तमेव य। एयाओ तिनि पयडीओ, मोहणिजस्स दंसणे ॥९॥ चरित्तमोहणं कम्म, दुविहं तं वियाहियं कसायमोहणिजं तु, नोकसायं तहेव य ॥१०॥ सोलसविहभेएणं, कम्मं तु कसायजं । सत्तविहं नवविहं वा, कम्मं च नोकसायजं ॥ ११ ॥ नेरइयतिरिक्खाउं, मणुस्साउं तहेब य । देवाउयं चउत्थं तु, आउं कम्मं चउन्विहं ॥ १२॥ नामं कम्मं तु दुविहं, सुहममुहं च आहियं । सुभस्म उ बहू भेया, एमेव अमुहस्स वि ॥ १३॥ गोयं कम्मं दुविहं, उच्चं नीयं च आहियं । उच्चं अट्ठविहं होइ, एवं नीयं पि आहियं ॥ १४ ॥ दाणे लामे य भोगे य, उवभोगे वीरिए तहा । पञ्चविहमन्तरायं, समासेण वियाहियं ॥ १५॥ एयाओ मूलपयडीओ, उत्तराओ य आहिया । पएसग्गं खेत्तकाले य, भावं च उत्तरं सुण ॥ १६ ॥ सवेसिं चेत्र कम्माणं, पएसग्गमणन्तगं । गणिठयसत्ताईये, अन्तो सिद्धाण आहियं ॥ १७ ॥ सबजीवाण कम्मं तु, संगहे छद्दिसागयं । सवेसु वि पएसेसु, सवं सव्वेण बद्धगं ॥ १८ ॥ उदहीसरिसनामाण, तीसई कोडिकोडिओ । उक्कोसिय टिई होइ, अन्तोमुहुत्तं जहनिया ॥ १९ ॥ आवरणिज्जाण दुहंपि, वेयाणिज्जे तहेव य । अन्तराए य कम्मम्मि, ठिई एसा वियाहिया ॥२०॥ उदहोमरिसनामाण, सत्तर कोडिकोडीओ । मोहणिजस्स उ कोसा, अ तोमुहुत्तं जहन्निया ॥ २१ ॥ तेत्तीस सागरोवमा, उक्कोसेण वियाहिया । ठिई उ आउकम्मस्स, अन्तोमुहुत्तं जहनिया ॥ २२ ॥ उदहीसरिसनामाण, वीसई कोडिकोडीओ । नामगोताणं उक्कोसा, अट्ट मुहुत्ता जहनिया ॥ २३ ।। सिद्धाणणन्तभागो य, अणुभागा हवन्ति उ । सम्बेसु वि पएसग्गं, सबजीवे अइच्छियं ॥ २४ ॥ तम्हा एएसि कम्माणं, अणुभागा वियाणिया । एएसि संवरे चेव, खवणे य जए बृहो ॥ २५ ॥ त्ति बेमि ॥ इअ कम्मप्पयडी समत्ता ॥ ३३ ।।

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