Book Title: Siddhant Swadhyaya Mala - Uttaradhyayan Dashvakalik Nandi Uvavai Sukhvipak Sutrakritang
Author(s): Hiralal Hansraj
Publisher: Hiralal Hansraj
View full book text ________________
(९०)
श्रीजैनसिद्धान्त-स्वाध्यायमाला
अप्पग्धे वा गहग्घे वा, कए वा विक्कए वि वा। पडिअढे समुप्पन्ने, अणवलं विआगरे ॥ ४६॥ बहेवासंजयं धीरो, आस एहि करेहि वा। सयंचिट्ठ वयाहित्ति, नेवं भासिज्ज पण्णवं ॥४७॥ बहने इमे असाहू, लोए बुचंति साहुणो। न लवे असाहुं साहुत्ति, साहुं साहुत्ति आलवे ॥ ४८ ॥ नागदसणसंपन, संजमे अ तवे रयं । एवं गुणसमाउत्तं, संजय साहुमालवे ॥ ४९ ॥ देवाणं मणुआणं च, तिरिआणं च बुग्गहे। अमुगाणं जओ होउ, मा वा होउत्ति नो वए ॥ ५० ॥
वाओ वुटुं व सीउण्हं, खेमं धायं सिवं ति वा। कया णु हुज एयाणि, मा वा होउ ति नो वए ॥५१॥ ... तहेव मेहं व नहं व मणवं, न देवदेव ति गिरं वइज्जा । समुच्छिए उन्नए वा पओए, वइज्ज वा बुट्ट बलाहय त्ति ॥ ५२ ॥ अंतलिक्ख त्ति णं बृआ, गुज्झाणुचरिअ ति । रिद्धिमंतं नरं दिस्स, रिद्धिमंतं ति आलवे ॥ ५३ ॥ तहे सावजणुमोअणी गिरा, जा य परोवघायणी । से कोह लोह भय हास माणवो, न हासमाणो विगिरं वइजा ॥ ५४॥ सुवक्कसुद्धिं समुपेहिआ मुणी, गिरं च दुटुं परिवज्जए सया । मिश्र अदुढे अणुवीइ भासए, सयाण मज्झे लहई पसंसणं ॥ ५५ ॥ भासाइ दोसे अगुणे अजाणिआ,तीसेअदुढे परिवजए सया। छम संजए सामणिए सया जए, बइज्ज बुद्धे हिमाणुलोकं ॥ ५६ ॥ परिक्खभासी सुसमाहिइंदिए, चउक्कसायावगए अणिस्सिए ।
स निधुणे धुत्तमलं पुरेकडं, आराहए लोगमणिं तहा परं ।। ५७ ॥ त्ति बेमि ॥ इअ सुवक्कसुद्धीनामं सत्तमं अन्झयणं समत्तं ॥ ७ ॥
Loading... Page Navigation 1 ... 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136