Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 05
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 218
________________ // 3 // // 4 // // 1 // विविधनयसमूहस्थानसंगत्यपास्तापरमतरणहेतुश्छायंया भाऽसमानैः कलितमदनलीलाऽधिष्ठिता चारु कान्तात्, सदसि रुचितमाराद् धाम हन्ताऽपकारम् / हरतु पुरुषदत्ता तन्वती शर्म पुंसां, सदसिरुचितमाराद्धाऽमहं तापकारम् 18 अरजिनस्तुतयः हरन्तं संस्तवीम्यहं त्वामरजिन ! सततं भवोद्भवामानमदसुरसार्थवाचंयम ! दम्भरताऽऽधिपापदम् / विगणितचक्रवर्तिविभवमुद्दामपराक्रमं हतामानमदसुरसार्थवाचं यमदं भरताधिपाऽऽपदम् भीमभवं हरन्तमपगतमदकोपाटोपमर्हतां स्मरत रणाधिकारमुदितापदमुद्यमविरतमुत्करम् / भक्तिनताखिलसुरमौलिस्थितरत्नरुचाऽरुणक्रम स्मरतरणाधिकारमुदितापदमुद्यमऽविरतमुत्करम् भीमभवोदधेर्भुवनमेकतो विधुशुभ्रमञ्जसाऽभवदवतो यशोऽभितरणेन नमाऽदितं नयमितं हि तम् / जिनपसमयमनन्तभङ्ग जन ! दर्शनशुद्धचेतसा / भददवतोय ! शोभित ! रणेन न मादितं न यमितं हितम् चक्रधरा करालपरघातबलिष्ठमधिष्ठिता प्रभासुरविनता तनुभवपृष्ठमनुदितापदऽरङ्गतारवाक् / दलयतु दुष्कृतं जिनवरागमभक्तिभृतामनारतं सुरविनता तनुभवपृष्ठमनु दितापदरङ्गतारवाक् // 2 // // 3 // // 4 // 209

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