Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 05
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ विजितं किल पङ्कजं तया, चकिते प्रत्युत तद्विलोचने। तदिहात्र विदाञ्चकार को, न बुधः स्यादभिदामिदं तयोः // 26 // मदनस्य तदीयनासिकाततवंशोपरि भालपट्टके। त्रिजगज्जनमोहदायिनः, सततं नृत्यविधिळजृम्भत // 27 // अमृतस्य विधोस्तदाननीभवतः साधु पदं किलाधरौ। उदजीव्यत तौ विधापयद्भवनेत्राग्नि हुतोऽपि मन्मथः / // 28 // उचितं मदनाय तत्प्रियाधरबिम्बीफलढौकनं मधोः / कृसुमप्रसरच्छरव्यये हरगौ? फलतो जिघांसते // 29 // सुषमासु परीक्षणक्षणे, विधिना कल्पिततोलनाविधौ / अधरे किल तत्र गौरवं, न तु बालोद्गतविक्रमे श्रिया // 30 // इदमीयमनातपाशया, हरकोपानलहेतितापवान् / अधरं समशिश्रियत् स्मरः, स बहुव्रीहिधियेव विक्रमम् // 31 // उचितः किल विद्रुमेऽधरे, प्रथितोऽस्याः स्मरतापनातपः / ननु चित्रमितः समेधते, न तु शृङ्गाररसः प्रशुष्यति // 32 // नितमामिदमीयपाटलाधरबिम्बेन शुचिस्मितस्पृशा। अपि कोकनदं व्यडम्ब तत्, कलितं बालमराललीलया // 33 // स्मितविस्मितकेतकीदलै-रिदमीयाधरबिम्बचुम्बिभिः / मदनस्य जगज्जिगीषतोऽप्युचिता पुष्पफलोपनम्रता // 34 // कथमेतदिदं शुभाधरामृतनिस्यन्दविलास्यपि स्मितम् / युवभिर्निजनेत्रपधिनी दलपीतं हृदयान्यमूमुहत् // 35 // वयसा शिशुतोत्तरेण यत्तदधिष्ठातृकनिष्ठया स्थितम्। . मदनः सदनोदयाय तस्मितदुग्धैस्तदसिच्यतोचितम् . // 36 // शुचितस्मितनिर्झरापगासलिलस्नानविलासिनो द्विजाः / द्विजराजतहास्यसङ्गतो विषमुक्ताः शुचयो विरेजिरे // 37 // 208
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