Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 05
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ प्रस्तुताध्ययनग्रन्थाध्यापनाद्येककर्मणि / प्रवर्तमाने सम्प्राप्तं पर्व पर्युषणाभिधम् // 2 / 46 // तत्रापि पटहोद्घोषैः पापध्वंसपुरस्सरम् / दिनेषु पञ्चसु श्रीमत्कल्पसूत्रस्य वाचनम् // 2 / 47 // मासार्द्धमासमुख्यानां तपसां पारदर्शनम् / षद्विषादिकसङ्ख्यानां महाधीरनिदर्शनम् // 248 // साधर्मिक-जनानाञ्च वात्सल्यकरणं मिथः / दीनानाथादिवर्गस्य वाञ्छाधिकसमर्पणम् // 2 // 49 // एवमादि स्फुरद्धर्मकृत्यस्फातिमशिश्रियंत् / श्रूयते च जिनेन्द्राणां श्रीपूज्यानाञ्च भक्तितः // 2 // 50 // यः सूत्रसिन्धुशीतांशुरुत्सूत्राम्भोधिकुम्भभूः / वन्दामहे वयं तस्य चरणाम्भोजयामलम् // 351 // उत्सूत्राम्भोनिधौ यस्योपदेशो वडवानलः / षट्त्रिंशद्गुणषट्त्रिंशद् गुणाढ्यं तं गुरुं श्रये // 352 सूत्रारामसुधावृष्टिर्देशना यस्य पेशला / उत्सूत्राम्भोधिकल्पान्तवातोमि तं गुरुं श्रये . // 353 // उत्सूत्राब्धिगतां लङ्कां मिथ्यामतिमुवोष यः / गुरुर्दाशरथिः क्लेश-पाशच्छेदाय सोऽस्तु वः // 354 // क्षारं मत्वा वचश्चित्रमुत्सूत्राम्भोनिधेः पयः / उपेक्षते स्म यः साक्षात्स एव गुरुरस्ति नः // 355 // नोर्जितं गर्जितं मेने वल्गु वा वीचिवल्गनम् / . उत्सूत्राम्भोनिधेर्येन स गुरुर्जगतोऽधिकः // 356 // यत्सूत्र-कुलिशच्छिन्नपक्षाः कुमतपर्वताः / उत्सूत्राम्भोनिधौ पेतुर्गुरुरिन्द्रः स वः श्रिये - // 3 / 57 // 286
Page Navigation
1 ... 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322