Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 05
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 285
________________ // 4 // अतनोरनुमीयते कृतिर्न तु सामान्यविधेविधेरियम् / न विशेषविधिविधीयते, किमु सामान्यविधि विधूय वा // 2 // पुरुषोत्तममेनमाश्रितां, शुचि-श्रृङ्गारसुधार्णवोद्भवाम् / नयने विनिवेशितामिमां, न विदुः के भुवि काञ्चनश्रियम् // 3 // अनया विजिताः सुराङ्गना, भृशदुःखादिव रूपसम्पदा। अनिमीलितनेत्रसम्पुटा, नियतं निश्यपि नैव शेरते परिणामसहायनामभावं, तरुणी (सा) तरुरेव निश्चिता। जडतां दधती हियापितां, ननु रम्भाऽपि तदीक्षणार्जिताम् . // 5 // प्रथिता किल सा तिलोत्तमा, कथमस्याः पुरतस्तिलोत्तमा / ... अनया हि समानताऽप्यहो, स्वविशिष्टां मुमुचेऽनुवीक्ष्य यत् // 66 रतिरेतु रतिं न कहिचित्, कथमस्यास्त्वियता विजिष्णुता। उचितं कलयामि तज्जिता, रतिरेवान्तरिता तदेव नु // 7 // भयतो महतस्तया जिता, दयितार्द्धाङ्गसयुग्भवान्यभूत्। द्विजराजकरावमर्शनैः, सतताश्वासनभाजनीकृता .. // 8 // य इमां भुवनातिशायिनीमकरोदेष करो हि दक्षिणः। . इतरास्तु करोति यः पुनर्ननु वामः स विधेविलक्षणः // 9 // चिकुरैः सह सख्यमातनोद्, ध्रुवमस्याः सुकृताय चामरम्। पदवी न दवीयसी कथं, नृपमान्या पशुजन्मनोऽन्यथा. // 10 // सकला कचपाशचुम्बिनी, न कलापेऽनु कलापिन: कला। सकलाकलितार्द्धचन्द्रको, मुखचन्द्रोपरि सञ्चरः परः // 11 // अवधाय विधेविधेयतामिह चण्डीशजयार्थमात्मनः। .. कुसुमानि शरान्यधत्त तत्कबरीमण्डलसन्निधौ स्मरः // 12 // अनया मदनो भवं जयन्, स्वजिघांसुं कृतवैरशोधनः / तदयं जयसूचनाय तत्कबरी सत्कुसुमैरपूजयत् // 13 //

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