Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01 Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer View full book textPage 7
________________ मक्खन के बारे में आया हुवा प्रश्न का खुलासा. कांधला निवासी श्रीयुत् चतरसैन खजानची ने "प्रकाश" पत्र के अंक १९ में ५ प्रश्न किये थे जिनमें से प्रथम प्रश्न ( कि जो शालोपयोगी जैन प्रश्नोत्तर पर से उपस्थित हुया था ) यह है * प्रश्न (१) १६ फरवरी के अंक १४ में लिखा है कि पक्खन में दो घडी में छाछ के निकलने पर दो इंद्रिय जीव हो जाते हैं सो यह कौन सूत्र में कहा है ? के उत्तर श्रीमद् हेमचन्द्राचार्य विरचित योग शास्त्र के आधार पर से हमने यह वात लिखी थी उक्त प्राचार्यने योग शास्त्र के तृतीय प्रकाश में प्रतिपादन किया है कि:अंतर्मुहूर्तात्परतः । सुसूक्ष्मा जंतुराशयः ।। यत्र मूर्छन्ति तन्नाय । नवनीतंविवेकिभिः ॥ श्लो- ३४ . मक्खन को छाछ में से निकालने के पश्चात् अंतमुहूर्त व्यतीत होने पर उसमें सूक्ष्म जंतुओं के समूह उत्पन्न होते हैं अतएव विवेकी जनों को चाहिये कि मक्खन का भत्तण न करें। . एकस्यापि जीवस्य । हिंसने किमघं भवेत् ।। जंतु जातमयं तत्को । नवनीतं निपेवते ॥ श्लो ३५ .Page Navigation
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