Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 46
________________ (. ३६) उत्तरः है चारों गति के जीवों के पास पुण्य व • पाप दोनों होते हैं. . . . (२३) प्रश्नः पुण्य व पाप अर्थात् 'शुभाशुभ कर्म से मुक्त हुये हुवे जीव कौनसी गति पाते हैं ? उत्तरः सिद्धगति. . (२४) प्रश्नः सिद्धगति याने. मोक्ष साधने में पुण्य की जरूरत है क्या? .. उत्तरः हां। पुण्य के उदय बिना मनुष्य भव आर्यक्षेत्र, उत्तम कूल, आदि का संयोग नहीं मिलता है और ऐसे संयोग मिले · · विना कभी भी मोक्ष साधन नहीं होसक्का. (२५) प्रश्नः सिद्धगति पाने के बाद क्या पुण्य की जरुरत है ? .. '. उत्तरः नहीं जैसे समुद्र में से किनारे पर पहुंचने के लिये नाव की जरुरत है लेकिन किनारे पर पहुंच जाने के बाद नाव की जरुरत नहीं है वैसे ही संसार समुद्र में से मोक्ष रूप किनारे पर पहुंचने के लिये पुण्य के , सहारे की जरुरत है मगर मोक्ष में पहुंचने के बाद पुण्य की जरुरत नहीं और जहां तक अपन नाव में बैठे रहें वहां तक कि नारा प्राप्त नहीं होता है वैसे ही जहां तक पुण्य है वहां तक मोक्ष की प्राप्ति भी नहीं • होती है पुण्य व पांप दोनों का क्षय होने .. से ही मोक्ष प्राप्त होता है...'

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