Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 75
________________ ( ६५ ) र्छिम के ) व १० पर्याप्ता के ( ५ गर्भज के व ५ समुर्छिम के ) (४६) प्रश्नः तिर्यच के ४८ भेद में त्रस कितने व स्थावर कितने १ ¿ उत्तर: २६ त्रस के ( २० पचेन्द्रिय के व ६ बिकलेन्द्रिय के ) २२ भेद स्थावर के. (५०) प्रश्नः तिर्यंच के ४८ भेद में संज्ञी के भेद कितने व संज्ञी के भेद कितने १ उत्तरः संज्ञी के ३८ भेद ( २२ एकेन्द्रिय के ६ विकलेन्द्रिय के व १० असंज्ञी तिर्यन पंचेन्द्रिय के ) व संज्ञी के १० भेद. (५१) प्रश्न: सूक्ष्म एकेन्द्रिय किस को कहते हैं ? उत्तरः जो हणने से हणाते नहीं, मारने से मरते नहीं, जलाने से जलते नहीं व सारा लोक में भरपूर हैं मगर दिखने मगर दिखने में आते नहीं उनको सूक्ष्म एकेन्द्रिय कहते हैं सिर्फ ज्ञानी उनको देख सकते व समज सकते हैं उनकी आयु अंतर्मुहूर्त की होती है. (५२) प्रश्न: वादर किस को कहते हैं ? उत्तर: जिनको अपन देख सकें या न भी देख सकें. मगर हणने से हणाते हैं मारने से •

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