Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 73
________________ १ (६३) (४२) प्रश्नः तिर्यंच के कुल कितने भेद हैं ? उत्तरः अडतालीस... (४३) प्रश्नः तिर्यंच के ४८ भेद में से एकेन्द्रिय के कितने ? विकलेंद्रिय के कितने व तिर्यंच पंचेन्द्रिय के कितने भेद हैं ? उत्तरः एकेंद्रिय के २२, विकलेंद्रिय के ६, व तिर्यंच पंचेन्द्रिय के २० मिलकर कुल ४८ भेद हैं. (४५) प्रश्नः एकेन्द्रिय के २२ भेद कैसे होते हैं सो वतलाइए? उत्तरः एकेंद्रिय या स्थावर जीवों के पांच भेद हैं उसमें पृथ्वीकाय के चार भेद १ सूक्ष्म पृथ्वीकाय का अपर्याप्ता २ सूक्ष्म पृथ्वीकाय का पर्याप्ता ३ वादर पृथ्वीकाय का अपर्याप्ता ४ वादर. पृथ्वीकाय का पर्याप्ता इस तरह से अपकाय, तेउकाय व वायुकाय के भी चार २ भेद हैं. चारों के १६ भेद हुए. घनस्पतिकाय के ६ भेद , २ सूक्ष्म के व ४ वादर के (१सूक्ष्म वनस्पतिकाय का अपर्याप्ता २सूक्ष्म वनस्पतिकार्य का पर्याप्ता ३ बादर प्रत्येक वनस्पतिकाय का अपर्याप्ता ४ वादर प्रत्येक वनस्पतिकाय का पर्याप्ता ५ वादर साधारण वनस्पतिकाय का अपर्याप्ता ६ बादर साधारण वनस्पतिकाय का पर्याप्ता)

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