Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 47
________________ ( ३७ ) प्रकरण दशवां. भक्ष्याभक्ष्य का विचार । ( १ ) प्रश्न: जिस वस्तु के खाने से अधिक पाप लगे उस वस्तु को क्या कहते हैं ? उत्तर: अभक्ष्य. ( २ ) प्रश्न: अभय का अर्थ क्या होता है ? उत्तर : नहीं खाने योग्य ( अ = नहीं, + भक्ष् - खाना + 4 = योग्यता बताने वाला प्रत्यय ) ( ३ ) प्रश्न: कौन २ सी वस्तु भन्य ? उत्तर: मांस, मदिरा, कंदमूल, मधु और वासी मक्खन आदि. ( ४ ) प्रश्न: मांस खाने वाले को क्या नुकसान होता है ? उचरः प्राणी हिंसा का महान् पाप लगता है, शरीर को हानि पहुंचती है, बुद्धि भ्रष्ट होती है. अच्छे विचार नष्ट होजाते हैं और अनुक पा (दया) का अभाव होजाता है इस कारण से मांस खाने वाले मरकर प्रायः नर्क में ही जाते हैं. ( ५ ) : प्रश्न: मदिरा पान करने वालों को क्या हानि पहुंचती है ? उत्तर: यदिरा बनाने में अगणित त्रस जीवों की हिंसा होती है, मदिरा, जीवों का ही सत्य है, . मदिरा पान करने से अनेक रोगों की उत्पत्ति

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