Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 63
________________ ( ५३ ) · ( ६५ ) प्रश्न जुगलिया के मलमूत्रादि में समूर्छिम मनुष्य उत्पन्न होते हैं क्या ? उत्तरः हां. ( ६६ ) प्रश्नः समूर्छिम मनुष्यको तुमने देखे हैं क्या ? उत्तरः नहीं. उनका शरीर बहोत ही वारीक है, जिससे अपन को दृष्टिगोचर नहीं होता ६७ ) प्रश्न: उनकी अवगाहना व आयुष्य कितना होता है ? उत्तरः उनकी अवगाहना अंगुल के असंख्यातवा भागकी व उनका आयुष्य जघन्य उत्कृष्ठ अंतर्मुहुर्तका होता है – उत्पन्न होनेके बाद दो घडी के भीतर ही वे मर जाते हैं. (६८) प्रश्नः समूमि मनुष्य को मातापिता होते हैं क्या ? उत्तरः नहीं, वे मातापिता की विना अपेक्षा उपजते हैं. (६६) प्रश्न: जो माता पिता के संयोग से उत्पन होते उनको कैसे मनुष्य कहे जाते हैं ? उत्तरः गर्भज. ( ७० ) प्रश्न: गर्भज मनुष्य के कितने भेद (प्रकार) हैं ? उत्तरः २०२० · (७१) प्रश्न: गर्भन मनुष्य के २०२ भेद किसतरह से होते हैं ?

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