Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 66
________________ ( ५६.) (८२) प्रश्नः मनुष्यके ३०३ . भेदमेंसे अपने भरत क्षेत्रमें कितने भेदः पावे ? उत्तरः तीन.. (. जंबुद्वीपका. भरतक्षेत्रका गर्भन . . . मनुष्यका अपर्याप्ता. और पर्याप्ता व समूर्छिम मनुष्यका अपर्याप्ता) (८३) प्रश्नः जवुद्वीप में मनुष्य के कितने भेद पावे ? ___ उत्तरः सत्ताईस ( तीन कर्म भूमि के ह भेद और छ अकर्मभूमि के १८ भेद मिल कर कुल . २७ भेद) . (८४) प्रश्नः लवण समुद्र में मनुष्य के भेद कितने हैं ? उत्तरः १६८ ( छप्पन अंतर्द्वीपा के ) (८५) प्रश्नः धातकी खंड में मनुष्य के भेद कितने हैं ? ___ उत्तरः ५४ ( ६ कर्म भूमि के १८ भेद व १२ अकर्म भूमि के ३६ भेद मिल कर ५४) (८६) प्रश्नः अर्ध पुष्कर में मनुष्य के भेदं कितने पावे ? उत्तरः ५४ (६ कर्म भूमि के अठारह भेद व वारह अकर्म भूमि के छत्तीश भेद मिलकर कुल ५४ भेद पावे). प्रकरण १२ ॥ ॥तिर्यंच के भेद ॥ (१) प्रश्नः तिर्यंच किसे कहते हैं ?.... उत्तरः मनुष्य, देवता, और नारकी सिवाय दूसरे . सर्वत्रस स्थावर जीवों को.तिर्यच कहते हैं. (२) प्रश्नः तिर्यंच के मुख्य भेद कितने हैं व कौन २ से हैं ?

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