Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 60
________________ हैं इस तरह से पश्चिम तरफ से भी दो दो . जात्रा निकली हुई हैं इन सब नाहाएं लवण समुद्र में ४०० जोजन से ज्यादांचली मई है शुरू में दावा लकड़ी व पीछे से चौड़ी होती चली गई है जम्बूद्वीप की आसपास जगती का कोट है. वह मिल्ला से लवण समुद्र काप्रारंभ होता है, इस लवण समुद्र में जगती का कोट से ३०० जांजन दूर प्रत्येक दाहा पर ३०० जोजन का लम्बा चौड़ा पहेला अंतीया पाना है, वहां से ४०० जोजन का लम्बा चौड़ा दुसरा अंतीपा आता है, वहां से ५००. जोजन दूर ५०० जोजन · का लम्बा चौड़ा तीसरा अंतीपा आता है, वहां से ६.. जोजन दूर ६०० जोजन का लंबा चौडा चौथा अंतरीपा आता है, वहां से ७०० जोजन दुर ७०० जोजन का लंबा चौडा पांचवा अंतर्दीपा आता है, वहां से ८०० जोजन दुर ८०० जोजन का लंबा चौडा हा अंतर पिश . प्राता है, वहां से ६०० जोजन दुर ३०० जोजन का लंबा चौडा सातवां अंतीफा माता है, इस तरह से त्राटदाहा में मिलकर एकदंर ५६ अरबीपा लवण समुद्र में पानी की सपाटी से दाई जोजन से ज्यादा

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