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(१५) प्रश्नः पुण्य, पापके पुद्गल रूपी हैं या श्ररूपी ? उत्तरः रूपी हैं. मगर उनको अपन देख नहीं सक्ने.
(१६) प्रश्न : पुण्य पाप अथवा शुभाशुभ कर्म पुद्गल को कौन जान व देख सक्ते हैं ?
उत्तरः केवलज्ञानी केवली भगवान. (१७) प्रश्नः पुण्य के उदयं से जीव कौन २ सी गति में जाते हैं ?
उत्तर: देवगति में या मनुष्यगति में.
(१८) प्रश्न: मनुष्यगति में कई जीव नीच गोत्र में उप जते हैं वह किससे ?
उत्तरः पाप के उदय से.
(१६) प्रश्न: जीव तिर्यंच गति में किससे उपजते हैं ? उत्तरः पाप के उदय से.
(२०) प्रश्नः तिर्यच गति में भी कई जीव शातावेदनीय व दीर्घायुष्य पाते हैं वह किस कारण से पाते हैं ?
उत्तरः पुण्य के उदय से.
(२१) प्रश्नः जीव नर्कगति किस कारण से पाते हैं ? उत्तरः पाप के उदय से.
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(२२) प्रश्नः नर्क के अनन्त दुःख भोगते हुवे जीवों के पास “शुभ कर्म पुद्गल" याने पुण्य है या नहीं ?