Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 56
________________ ( ४६ ) उत्तर: है ( १ हेमवय, १ हिरण्यवय, १ हरिवास, १ रम्यकवास, १ देवकुरु, १ उत्तरकुरु) . (२) प्रश्न: धातकी खंड में कर्म भूमि के कितने क्षेत्र हैं ? उत्तर: वार ( २ हेमवय २ हिरण्यवय २ हरिवांस २ रम्यकवास २ देवकुरु २ उत्तरकुरु ) . (३०) प्रश्न: अर्द्ध पुष्कर द्वीप में अकर्म भूमि के कितने क्षेत्र हैं ? " उत्तरः वार ( २ हेमवय २ हिरण्यवय २ हरिवास २ रम्यकवास २ देवकुरु २ उत्तरकुरु) . (३१) प्रश्न: अकर्म भूमि के मनुष्य कैसे होते हैं ? उत्तर : जुगलिया. (३२) प्रश्न: किस वास्ते उनको जुगलिया कहते हैं ? उत्तरः वहां के स्त्री और पुरुष दोनों साथ जन्म पाते हैं जिससे उनको जुगल अर्थात् जुगलियां कहते हैं. ( ३३ ) प्रश्न: प्रत्येक जुगलिणी - जुगल की स्त्री कितने जुगलिया को जन्म देती है ? उत्तरः जुगल की स्त्री मरने के तीन मास पेश्तर सिर्फ एकवार एक जुगल को जन्म देती हैं. (३४) प्रश्न: यह जुगन्त पुत्रों का या पुत्रि का किस का होता है ? उत्तर: एक पुत्र व एक पुत्री का होता है. (३५) प्रश्न: जुगल की स्त्री अपने पुत्र व पुत्री की प्रति पालना कितने दिन तक करती है ? उत्तरः देवकुरु उत्तर कुरु में ४६ दिवस, हरिवास रम्यकवास में ६४ दिवस व डेमवय हिर

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