Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 55
________________ (४५) द्वीप के क्षेत्रों से धातकी खंड के क्षेत्रों विस्तार में पड़े हैं व उनसे अर्ध पुष्कर द्वीप के क्षेत्रों बड़े हैं मगर धातकी खंड के दोनों महा विदेह क्षेत्रों एक सरीखे हैं व अर्ध पुष्कर द्वीप में भी इस तरह से है. (२३) प्रश्नः जंबुद्वीप में भरत इरवृत्त व महा विदेह क्षेत्रों कहां कहां हैं? उत्तरः जंबुद्वीप में दक्षिण तरफ भरत, उत्तर तरफ इरवृत्त व मध्य में महा विदेह है (इसही तरह से धातको खंड में व अर्ध पुष्करद्वीप में भी उत्तर तरफ इरवृत, दक्षिण तरफ भरत व मध्य में महा विदेह है. (२४) प्रश्नः अकर्म भूमि किसको कहते हैं ? उत्तरः जिस भूमि के मनुष्यों असि मसि व कृषि के व्यापार विना सिर्फ दश प्रकार के कल्पवृक्ष से अपना जीवन चलाते हैं उनको अकर्म भूमि के मनुष्य कहते हैं. (२५) प्रश्नः कल्पवृक्ष मायने क्या ? उत्तरः मनोवांछित वस्तु देने वाले वृक्षों. (२६) प्रश्नः अकर्म भूमि के क्षेत्र कितने हैं ? उत्तरः त्रीश. . (२७) प्रश्नः त्रीश अकर्म भूमि के क्षेत्रों के नाम कहो. उत्तरः ५ हेमवय. ५ हिरण्यवय. ५ हरिवास. ५ . . . . ... रम्यकवास. ५ देवकुरु, व ५ उत्तरकुरु. (२८) प्रश्नः जम्बुद्वीप में अकर्म भूमि के क्षेत्र कितने हैं ?

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