Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 42
________________ ( ३२ ) || प्रकरण नव्वji || पुण्य तत्त्व व पाप तत्त्व, ( १ ) प्रश्नः सब जीव समान हैं ताहम भी कई भूखे मर ते हैं व अपन को खाने का, पीने का, रह ने का आदि सब सुख मिला है उसका क्या सवव ? उत्तर: अपनं ने पूर्व भव में शुभ कमाई की होगी उसका अच्छा फल आज अपन भोगते हैं व रंक या दुःखी जीवों ने अशुभ कमाई की होगी उसका अशुभ फल वे भोग रहे हैं. (२) प्रश्नः शुभ कमाणी मायने क्या ? उत्तरः पुण्य. (३) प्रश्न: अशुभ कमाणी मायने क्या ? उत्तरः पापः ( ४ ) प्रश्नः शुभ कमाणी या पुराय कैसे होते हैं ? उत्तरः अन्य जीवों को शाता करने से और अच्छा विचार करने से. ( ५ ) प्रश्न: जीव पाप कैसे करते हैं ? उत्तरः अपनी व अन्य की आत्मा को क्लेप उप जाने से, अनीति से चलने से और असत्य विचार करने से. +

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