Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 41
________________ ( ३१ ) (१९) प्रश्न: केवलज्ञानं प्राप्त होने से श्रीभगवंत ने क्या क्रिया १ उत्तरः केवलज्ञान से लोक में अनेक प्रकार के त्रस व स्थावर जीवों को दुःखी देखकर उनको दुःख में से मुक्त करने के लिये मोक्ष मार्ग बताया व अनेक जीवों को संसार सागर से पार उतारे - अनंत जीवों की दया का पालक साधुवर्ग स्थापित किया, दाना.दिक उत्तम गुणों से अलंकृत श्रावक वर्ग भी बनाया और अपूर्वज्ञान भंडार गणधर देव को दिया जिन्होंने शास्त्र बनाये. अखीर में त्रीश वर्ष की केवल प्रवर्ज्या पालने के पीछे शाश्वत सिद्ध गति को प्राप्त हुए. (२०) प्रश्नः श्रीमहावीर भगवंत ने धर्म की प्ररुपना की उससे पहले जगत में जैनधर्म था या नहि १ उत्तर: जैनधर्म अनादि व शाश्वत है इस जगत् में कमसेकम बीश तीर्थंकर, दो क्रोड़ केवळी और दो हजार क्रोड़ साधु साध्वियों महा विदेह क्षेत्र में हर हमेश विद्यमान रहते हैं अपना भारतवर्ष में भी श्रीमहावीर प्रभु के पहले अनंत तीर्थकर होगये हैं इस तरह पंद्रह कर्म भूमि में अनंत तीर्थंकर होगये - हैं इन सब तीर्थंकर जैन धर्म का पुनरुद्धार करते थे. f ·

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