Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ ( २५ ) स्पर्श होजाय तो अचेत वस्तु भी साधु की लेना अकल्पनीय है. (४३) प्रश्नः साधुजी को थाहार पानी देते वक्त किस किस वस्तु को छूना नहि चाहिए ? उत्तर: जिन जिन वस्तुओं में पृथ्वीकाय अपकाय और वनस्पतिकाय के जीव हैं उनको और अग्नि को छूना नहिं चाहिए और फूंक मारके कोई चीज देना नहिं चाहिए. (४४) प्रश्न: किसवास्ते अग्नि को नहिं छूना चाहिए ? उत्तर: इस के छोटे से चिनगारे में भगवंत ने असंख्यात जीव कहे हैं. (४५) प्रश्न: उन जीवों को क्या कहते हैं ? उत्तरः अग्निकाय या ते काय. (४६) प्रश्नः साधुजी को आहार पानी देने के वक्त फूँक क्यों नहि मारना 2. उत्तरः फूंकने से वायु के जीव मरजाते हैं. (४७) प्रश्नः वायरे के जीव को क्या कहते हैं ? उत्तरः वाउकाय. (४८) प्रश्न: वायरे के जीव किससे मरते हैं ? • उत्तरः खुला मुंह से बोलने से, झटकने से, चलाने से आदि अनेक क्रियाओं से. · झुला ( ४६ ) प्रश्न: एक दफे खुला मुंह से बोलने से कितने - 'बाउकाय जीव मर जाते हैं ? A

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77