Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 36
________________ ( २६ ) उत्तरः असंख्यातः ... (५०) प्रश्नः पृथ्वीकाप, अपकाय, तेउकाय, वाउकाय, और वनस्पतिकाय इन का अर्थ क्या ? उत्तरः पृथ्वीकाय मायने पृथ्वी के जीवों, अप काय. मायने पाणी के जीवों, तेउकाय मायने अग्नि के जीवों, वाउकाय मायने वायु के जीवों और वनस्पतिकाय मायने वनस्पति के जीवों * - - * यहां शिक्षकको चाहिए कि विद्यार्थियों को पुरेपुरा समजावे कि पृथ्वी, पानी, अग्नि, पवन, व वनस्पति में जीव हैं यह कुछ गम नहिं है क्योंकि हरेक में वढने घटने की शक्ति है जो अपन प्रत्यक्ष प्रमाण से देखते हैं. इन सत्र में जीव हैं ऐसा अंग्रेज लोगों ने कई प्रयोग द्वारा अनुभव कर सावित किया है. थोड़े समय पहले एक बंगाली शोधक ने सिद्ध कर बताया है कि धातु भी सचेत है. इस तरह से वीतराग याने पक्षपातं रहितं प्रभु की वाणी अपन को सिर्फ अंधश्रद्धा से ही मानलेने की नहि है मगर सत्य होने से ही मानते हैं ऐसा समझाकर श्रद्धा दृढ कराना, अन्य धर्म की भी मिसालें देना जैसे ब्राह्मण लोग मानते हैं कि जल में स्थल में सर्व में विष्णु है, विष्-व्यापना इस पर से विष्णु शब्द हुदा है अर्थात् सब जगह जीव व्याप्त है.

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