Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 28
________________ ( १८ ) (१५) प्रश्नः सारा ही दिन धर्म ध्यान में लगाते हैं तो खाते पीते हैं कहां से ? उत्तरः श्राहार पानी गांव में से लाते हैं. (१६) प्रश्न: आहार पानी के लिये साधु का जाना उस को अपने धर्म में क्या कहते हैं ? उत्तरः गौचरी. (१७) प्रश्न: गौचरी मायने क्या ? उत्तर: जिस तरह से गाय उपर २ से वास खाती व वास को उगने में हरज आती नहीं है उसही तरह से साधु थोड़ा २ आहार वहोत से घरसे लाते हैं व घरधणी को फिर रसोई करने की जरूर पड़ती नहीं है जिस घर में आहार पानी ज्यादा नहीं है वहां से कुछ लिया जाता नहीं है. साधुजी का पोशाक कैसा होता है ? उत्तरः वे धोती के बजाय चलोठा पहनते हैं व चरहते हैं सुख पर मुहपति व हाथ में रजोहरण या गुच्छा रखते हैं पांव में कुछ पहनते नहीं व शिर भी खुल्ला रखते हैं.' ( १ = ) प्रश्नः (१६) प्रश्न: साधु कोट पेन्ट या ऐसे कुछ पहेन शकते हैं ? उत्तरः नहि तीर्थंकर भगवान का फरमान नहीं फरमान कतई उपरोक्त पोशाक पहेरने का है और उनको रजोहरण गुच्छा पातरा यदि अपने पास रही सब चीजों का पडिलेह करना पड़ता है. कोट पेन्ट जैसे

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