Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 27
________________ ( १७) - उत्तरः नहीं, छठा महावृत तो नहीं है परन्तु छठा वृतहै. (१०) प्रश्नः साधुजी का छठा वृत कौनसा ? उत्तरः रात्री भोजन त्याग करने का. (११) प्रश्नः साधुओं को रहने का मकान होता है ? ___ उत्तरः नहीं होता है वे. मकान धन आदि सव परिग्रह के त्यागी हैं.. (१२) प्रश्नः साधुजी अपना मकान छोड कर क्यों त्या गी होते हैं ? . उत्तरः धर्म ध्यान कर अपना आत्मा का कल्याण करने के लिये. (१३) प्रश्न: क्या संसार में रहकर अपना आत्मा का कल्याण वे नहीं कर सकते हैं ? उत्तरः संसार में रहने से अपना व अपने कुटुंब का भरण पोपण के लिये कुछ कार्य करना पडता है जिसमें दोप लग जाता है क्योंकि संसार के कार्य ऐसे हैं कि इसमें सब जीवों की दया पालना मुश्किल है व संसार में ऐसे कई झगड़े फंसे हैं कि मनुष्य को परोपकारार्थ या आत्म हितार्थ पूरा वख्त मिलना असंभव है. (१४) प्रश्नः साधु सारा दिन धर्म ध्यान में ही निकालते . . होंगे? उत्तरः खानपान और अन्य शारीरिक कारण के लिये जो वख्त लगे उस्को छोड़कर सारा ही दिन धर्म ध्यान में ही लगाते हैं.

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