Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 01
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 20
________________ उत्तरः दोनों के आत्मा समान हैं. (१८) प्रश्नः हाथी जब मर के चींटी होता है तब उस्का . आत्मा इतना छोटासा देह में कैसे समा सक्ता है ? उत्तरः जैसे एक रोशनी का प्रकाश सारा मकान में फैल रहता है मगर उस रोशनी के ऊपर वर्तन ढकने से उस्का प्रकाश वर्नन के भीतर ही रह जाता है इसी तरह से जीव शरीर के प्रमाण में व्याप्त हो रहता है. (१६) प्रश्नः जीव अपन को देखने में आता है या नहीं? उत्तरः नहीं वह अंरुपी है. (२०) प्रश्नः तव जिन जिन चीज अपन देख सक्ने हैं वे सब जीव है या अजीव ? उत्तरः सब अजीच ही है. (२१) प्रश्नः जीव व अजीव में क्या भेद है ? उत्तरः जीर चैतन्य लक्षण युक्त याने ज्ञान गुण वाला है व अजीव अचेतन याने जड़ है. (२२) प्रश्नः अपना शरीर जीव या अजीव ? उत्तरः अजीव. (२३) प्रश्नः तब यह अजीव पदार्थ स्वतः हलन चलन आदि क्रिया कैसे कर सका है ? उनरः जब तक उस्में जीव है तब तक जीव की शक्ति से उस्में हलचल देखने में पानी है

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