Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 12 Gyatadharmkatha Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 415
________________ आगम (०६) [भाग-१२] “ज्ञाताधर्मकथा " - अंगसूत्र - ६ ( मूलं + वृत्ति:) मूलं [१०९-११३] श्रुतस्कन्ध: [१] अध्ययनं [ १६ ], पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [०६] अंगसूत्र- [ ०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः जेणेव सए गिहे तेणेव उवा० २ सुकुमालियं दारियं सदावेह २ अंके निवेसेइ २ एवं ब०किणं तव पुत्ता ! सागरएणं दारएणं मुक्का ?, अहं णं तुमं तस्स दाहामि जस्स णं तुमं इट्ठा जाब मणामा भविस्ससित्ति सूमालियं दारियं ताहिं इट्ठाहिं वग्गूहिं समासासेइ २ पडिविसज्जे । तए से सागरदत्ते सत्थ अन्नया उप्पिं आगासतलगंसि सुहनिसपणे रायमग्गं ओलोएमाणे२ चिट्ठति, तते से सागरदत्ते एवं महं दमगपुरिसं पासह दंडिखंडनिवसणं खंडगमल्लगघडगहत्थगयं मच्छियासहसेहिं जाव अन्निज्माणमग्गं तते णं से सागरदत्ते कोडूंचियपुरिसे सहावेति २ एवं व०-तुम्भे णं देवा० ! एयं दमगपुरिसं विउलेणं असण४ पलो मेहिरगिहं अगुप्त वेसेह २ खंडगमल्लगं खंडघडगं ते एगंते एडेह २ अलंकारियकम्मं कारेह २ पहायं कयबलि० जाव सवालंकारविभूसियं करेह २ मणुष्णं असण ४ भोयावेह २ मम अंतियं उवणेह, तए णं कोटुंबियपुरिसा जाव पडिसुर्णेति २ जेणेव से दमगपुरिसे तेणेव वा० २ तातं दमगं असणं उवप्लोमेति २ ता सयं सिंहं अणुपवेसिंति२ तं खंडगमल्लगं खंडगघडगं च तस्स दमगपुरिसस्स एगते एडंति, तते णं से दमगे तं खंडमल्लगं सि खंडघडगंसि य एगंते एडिजमाणंसि महया २ सद्देणं आरसति, तए णं से सागरदत्ते तस्स दमगपुरिसस्स तं महया २ आरसियसहं सोचा निसम्म कोवियपुरिसे एवं व० - किण्णं देवाणु० ! एस दमगपुरिसे महया २सद्देणं आरसति ?, तते णं ते कोडुंबियपुरिसा एवं ० एस णं सामी ! तंसि खंड मल्लगंसि खंडघडगंसि एगंते एडिजमाणंसि महया रसदेणं आरसह, Ja Education Interation For Parts Only ~415~

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