Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 12 Gyatadharmkatha Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 507
________________ आगम (०६) [भाग-१२] “ज्ञाताधर्मकथा" श्रुतस्कन्ध: [२], ---------- वर्ग: [१], ---------- अध्ययनं [१-५], ---------- मूलं [१४८] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[०६] अंगसूत्र-[०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: जाताधर्म कथाङ्गम्. २धर्मकधाश्रुतस्कन्धः ॥२४९॥ पुरिसादाणीए तेणेव उवा०२ पासं अरहं तिक्खुसो वंदति २एवं व-आलित्ते गं भंते ! लोए एवं जहा देवार्णदा जाव सयमेव पधाविउं, तते णं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालिं सयमेव पुष्फलाए अज्जाए सिस्सिणियत्साए दलयति, तते णं सा पुष्फचूला अज्जा कार्लि कुमारि सयमेव पवावेति, जाव उवसंपज्जित्ताणं विहरति, तते णं सा काली अजा जाया ईरियासमिया जाव गुत्सर्वभयारिणी, तते णं सा काली अज्जा पुष्फलाअजाए अंतिए सामाइयमाझ्याति एक्कारस अंगाई अहिजइ बहूर्हि चउत्थ जाव विहरति, तते णं सा काली अजा अन्नया कयाति सरीरवाउसिया जाया पावि होत्या, अभिक्खणं २ हत्थे धोवइ पाए धोवइ सीसं धोबह मुहंधोवइ थर्णतराई धोवह कक्खंतराणि धोवति गुज्तराई धोवइ जत्थ २विय णं ठाणं वा सेज वा णिसीहियं वा चेतेइतं पुषामेव अभुक्खेत्ता ततो पच्छा आसयति वा सयइ वा, तते गं सा पुष्फबूला अज्जा कालिं अजं एवं प०-नो खलु कप्पति देवा! समणीणं णिग्गंधीणं सरीरबाउसियाण होत्तए तुमं च णं देवाणुप्पिया ! सरीरबाउसिया जाया अभिक्खणं २ हस्थे धोवसि जाव आसयाहि वा सयाहि वा तं तुम देवाणुप्पिए। एयरस ठाणस्स आलोएहि जाव पापछि पडिवजाहि,तते णं सा काली अज्जा पुष्फलाए अजाए एयमझु नो आढाति जाव तुसिणीया संचिट्ठप्ति, तते णं ताओ पुप्फचूलाओ अजाओ कालिं अजं अमिक्खणं २हीलेंति जिंदति सिंति गरिहंति अवमपणंति अभिक्खणं १ एपम8 निवारेंति,तते गं तीसे कालीए अज्जाए समणीहिं गिग्गं ceservercedescreers SOCIReseseroe 604 ॥२४९॥ स ~507~

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