Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 12 Gyatadharmkatha Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
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आगम (०६)
[भाग-१२] “ज्ञाताधर्मकथा" - अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:)
श्रुतस्कन्ध: [१] ----------------- अध्ययनं [१९], ----------------- मूलं [१४१-१४७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[०६] अंगसूत्र-[०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
ज्ञाताधर्मकथाङ्गम.
|१९पुण्डरीकज्ञाता. कण्डरीकदीक्षा गाहस्थ्यं सू. | १५२-१४३
॥२४॥
रीयस्स रपणो एयमढ णो आढाति जाव तुसिणीए संचिट्ठति,तते णं पुंडरीए राया कंडरीयं दोच्चंपितचंपि एवं वक-जाव तुसिणीए संचिट्ठति, तते णं पुंडरीए कंडरीयं कुमारं जाहे नो संचाएति बहहिं आघवणाहिं पण्णवणाहि य ४ ताहे अकामए चेव एयम8 अणुमन्नित्था जाव णिक्खमणाभिसेएणं अभिसिंचति जाव थेराणं सीसभिक्खं दलयति, पबतिए अणगारे जाए एकारसंगविऊ, तते गं घेरा भगवंतो अन्नया कयाई पुंडरीगिणीओनयरीओ णलिणीवणाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमंति पहिया जणवयविहारं विह-. रति (सूत्रं १४२)तते णं तस्स कंडरीयस्स अणगारस्स तेहिं अंतहि य पंतेहि य जहा सेलगस्स जाव दाहवकंतीए यावि विहरति, तते णं थेरा अन्नया कयाई जेणेव पोडरिगिणी तेणेच उवागच्छह २ णलिणिवणे समोसढा, पोंडरीए णिग्गए धम्म मुणेति, तए णं पोंडरीए राया धम्म सोचा जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवा० कंडरीयं वंदति णमंसति २ कंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगं सवाधाहं सरोयं पासति २ जेणेव धेरा भगवंतो तेणेच उबा०२ धेरे भगवंते वंदति णमंसह २त्सा एवं व-अहण्णं भंते! कंडरीयस्स अणगारस्स अहापवत्तेहिं ओसह सज्जेहिं जाव तेइच्छं आउहामि तं तुम्भे गं भंते! मम जाणसालासु समोसरह, तते णं घेरा भगवंतो पुंडरीयस्स पडिसुणेति २जाय उवसंपज्जित्ताणं विहरंति, तते णं पुंडरीए राया जहा मंडुए सेलगस्स जाव बलियसरीरे जाए, तते णं घेरा भगवंतो पोंडरीय रायं पुच्छंति २ बहिया जणवयविहारं विहरंति, तते णं से कंडरीए ताओ रोयायंकाओ विप्पमुके समाणे तंसि
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॥२४॥
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