Book Title: Samyaktva Sara Shatak
Author(s): Gyanbhushan Maharaj
Publisher: Digambar Jain Samaj

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Page 9
________________ सादर समर्पण दूषित वातावरण वाले घनघोर कालमें भी सूर्य के समान यथार्थ मार्ग को प्रदर्शित करने वाले प्रातः स्मरणीय, जगद्वन्ध, दिगम्बर परमर्पि, गुरुवर्य, प्राचार्य श्री १०८ श्रीचीरसागर जी महाज के करकमलों में मैं यह सम्यक्त्वसारशतक सादरे समरर्पित कर रहा है। जिसे स्वीकार करते हुये आप (गुरु महाराज) मुझ अल्पज्ञ को शुभाशिर्वाद प्रदान करें ताकि मैं आगे भी इसी प्रकार से सरस्वती जिनवाणी की सेवा कर सकू कार्तिक शुक्ला १५ आपका चरण सेवक-ज्ञानभूपण

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