Book Title: Samkhitta Taramgavai Kaha
Author(s): H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 227
________________ २१२ तरंगलाला एते अण्णे य बहुँ १३०४ एते अण्णे य बहू १३५६ एते अण्णे य बहू १०६६ एते य जल-तरंगे २८७ एतेसिं अक्कयर ४३४ एत्तो हु मंतभेओ ८५४ एय मह चेडियाओ २२४ एयम्मि देस-काले १३५ एय खु निरवसेसं २८१ जहाणुभूय ५९७ , ६२७ निसम्म वयणं ४२२ " " ६१२ " , ९२० , ,, १०४४ , गिजाणमाणा ७७ विचिंतयंती ३६९ सुणेत्तु वयणं ४०९ " " अहं ७३६ पिओ ८४५ ,, महं १०४० , य से १२६१ एयाणि य अण्णाणि २७५ एव कयभिप्पाएण १४७५ , कहिए तीए ७९७ परमत्थ १५८७ भणंत समण १३६८ , भणिओ मए ७१६ , भणियम्मि ताएण १५७ ,, , तुट्ठा ८१ भणिया निलुका ९३६ " " मए ६६९ , भणेति य सहसा ५३६ , मति धारेत्ता १४८३ एवमिह लोय-जत्ता १५८३ एवम्ह तत्थ चोरेहि ९३१ एव य चिंतेमि ५८४ ,, य पेच्छामि ४८३ । ,, समइच्छइ १४४६ , सुहेण गओ १२९४ एवं अइणिज्जते ९५५ ,, कयभिप्पओ ७३८ ,, कयभिष्पाया ५५ कय-संकप्पेण १४०४ किर पडिसिद्धो ६५२ गुण-संवाहो १५९९ च पुच्छियाए १६२७ चेडीए समं ७८१ पसाहियम्मी १६२८ पिएण वि कय १३०७ बहु विलवंती ९२६ भनिओ सणसा ८८३ मंतेऊण ९४१ , वित्थरियत्थ १२८६ , विलवंतीए ३७९ एवंविह-तारुण्णे १६२९ एवं विहार-विहिणा 1६२६ , संगोवंगो १५१६ " ८७५ ९७६ १.१८ ६०९१ १२४१ १२५९ १५४९ १५९० ,, १६०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324