Book Title: Samkhitta Taramgavai Kaha
Author(s): H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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२१६
जस्स कग गयाह ४२० जस्स न घरेज्ज १५३६ जस्स य पवरा नयरी २९४ जस्स य वासवदत्ता ९४
जस्त समाहि पवाह ६३१ जह कोसियार • १५७५ जह जह परिगलइ ५५१ जह जाइया न दिण्णा १०३८ जह बीयाणि महियले १३४५ जह य पुणो आयाया १०३७ जह रमिय जह ४५८
जह सत्थ- समारूढा १५८१ जह से श्यावकिन्या ५३
ॐ आणवेह तुम्भे ७३५ जं चक्कवाय ५९१
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१५२६ जं च तए मह (?) ५९३
जं च मए अणुभू ८४ जं जीए सहूलियाए ४९३ जं जेण पात्रियध्वं ५१८
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०
१३२०
जं दव्वमदिट्ठ अं नत्थि कोइ १५८९ अं पयइ-भद्दयस्स १२६६
जं पिय भणह १५८८
जं पुव्व अणुभूय ६०२ जं मे समणुन्भूयं ७५४
अं लोए जिभिय जं ठाणं इहई १३६६ सो विरस्य ८१० अं होही त होही ९२५ जाइ परंपर
१५२८ जा इमा तत्थ न ८५६ जा चकवाय तुवती १२१४
जा जत्थ अत्रत्था ७५६ जान बखोभेण या ४३५ जाणतो सव्वे १३६५
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४३०
जाणाहि अज्जपुत्तं ६८२
जा ताथ मिश्र ७६५ जाती जब सं
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११६८ जाती-सरणं च तुहं ७२५
जा भणइ मंगुलं ८५
जायं च रित्त-पेरंत • जाया चोर बहूओ ९५८ जायाणुसएण १४६२
जाव न मुयंति १५६६ जावय अहं वयत्थो १३८१ जाहि तुमं सारसिए ६५७
जिण वयण निउण २५
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तरंगलोला
०
१५२९
जिण वयण- भाविय ● जिण वयणुजय जिणवर - घरेसु य ४७५ जिमिया मि हुद्दय जीवरस य संदेह १२३३
जीविय तलाय - पाली ८२० जुज्झतमजुज्झत १४४३ जेण वि कूडिय १४२६ जेणंतरेण सो एइ ३६५ जेत्तियमेत्त इच्छह १००७ जे मग्गिउ गयम्छे १२८५
जो कुणइ राग-मूह १४८१
जो गंगा कच्छ ● १४०२ जो चिह्न काय गओ १३२५ जो चिंतेइ सरीरे १३२८ ठविय तु वह
११७४
६२४
o
१५६२
हा मना ६५९
हायसायि जिमिओ १३३ पहाया कब पडिकम्मा ११९९ तइया य वाह-कंड • ५९४ तो गच्छेती २०३ ततोषयस्य समणस्स १२ तत्तो य अइच्छंतो ३३९ तत्ती हासविय मुहो १५१
•
० १८५
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