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रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम्
[ सप्तमोऽध्यायः
अर्थ — ऊर्ध्व व्यतिक्रम - उर्ध्व दिशा में जितना प्रमाण किया है, उसको बिना बढ़ाये ही ' कार्यवश उससे परे भी गमन करना, इसको ऊर्ध्वव्यतिक्रम नामका अतीचार कहते हैं। इसी - तरह अधो दिशामें जितना प्रमाण किया है, उससे परे भी गमन करना अधोव्यतिक्रम नामका अतीचार है । पूर्वादिक आठ दिशाओं से किसी भी दिशा में नियत सीमासे आगे गमन करना तिर्यग्व्यतिक्रम नामका अतीचार है । पहले जितना प्रमाण किया है, उसको फिर रागवश बढ़ा लेना, क्षेत्रवृद्धि नामका अतीचार है । यह अतीचार दो प्रकारसे हो सकता है, एक तो एक दिशाके नियत प्रमाणको घटाकर दूसरी तरफ बढ़ा लेनेसे, दूसरे किधरके भी प्रमाणको बिना घटाये ही इच्छित दिशा के प्रमाणको बढ़ा लेनेसे । नियत सीमाको भूल जाना - कहाँ तक या कितना प्रमाण किया था, सो प्रमाद अथवा अज्ञानादिके वश याद न रहना, इसको स्मृत्यन्तर्धान नामका अतीचार कहते हैं ।
देशव्रत के अतीचारोंको बतानेकेलिये सूत्र कहते हैं
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सूत्र - आनयन प्रेष्य प्रयोगशब्दरूपानुपातपुद्गलक्षेपाः॥२६॥
भाष्यम् - द्रव्यस्यानयनं प्रेष्यप्रयोगः शब्दानुपातः रूपानुपातः पुगलक्षेप इत्येते पञ्च देशव्रतस्यातिचारा भवन्ति ॥
अर्थ - नियत सीमा से बाहरकी वस्तुको किसी भी उपायसे-ऐसे उपाय से जोकि आगेके चार अतीचारोंमेंसे किसी में भी अन्तर्भूत नहीं हो सकता, मँगा लेना आनयन नामका अतीचार | प्रेष्य- नौकर अथवा मजूर आदिके द्वारा सीमा से बाहर कोई भी कार्य करवाना, वहाँकी वस्तुको मँगवाना, अथवा कोई वस्तु या संदेश पहुँचाना आदि प्रेष्यप्रयोगनामका अतीचार है। केवल अपने शब्दको सीमाके बाहर पहुँचाकर - चिल्लाकर अथवा टेलीफोन तार आदिके द्वारा अपना काम निकालना शब्दानुपात नामका अतीचार है । अपना रूप दिखाकर सीमाके बाहर स्थित व्यक्तिको यह बोध करा देना, कि मैं यहाँपर हूँ, या यहाँ से गमन नहीं कर सकता, आदि, और इस तरहसे अपना काम चला लेना, रूपानुपात नामका अतीचार है । सीमा के बाहर चिट्ठी तर भेजकर अथवा ढेला आदि फेंककर किसीको बोध कराकर काम चलाना, पुद्गलक्षेप नामका चार है । इस तरह देशनैतके ये पाँच अतीचार हैं ।
अनर्थदण्डवत के अतीचारों को बताते हैं
सूत्र - कन्दर्पकाकुच्य मौखर्यासमीक्ष्याधिकरणोपभोगाधिकत्वानि ॥ २७ ॥
१ - - क्योंकि सीमा बढ़ा लेनेपर क्षेत्रवृद्धि नामका अतीचार हो जायगा । २ -- स्मृतेरन्तर्धानं तिरोभाव इत्यर्थः । ३- इसका नाम देशावकाशिक भी है । ४- कौत्कुच्यमिति वा पाठः ।
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