Book Title: Rajvidya Author(s): Balbramhachari Yogiraj Publisher: Balbramhachari Yogiraj View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org (ग) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लाभ दायक जगतांतकारी राजा प्रजावों में सुख शान्ति दृढ रखनेवाली विद्या का प्रचार और अधिक द्रव्य व्यय का भार अपने ऊपर लिया है ये स्वयं साम धर्म पालना साबित कर रहा है । इस परम पवित्र विद्या को अपने स्वजाति क्षात्र हितकारी समझ और उपरोक्त सर्व वार्ताओं को अपने लक्ष में रख श्री महाराजाजी साहिब बहादुर की पवित्र सेवा में प्रकाश करने के लिये एवम परिश्रम और व्यय कीया है । इस विद्या का प्रभाव आज तक भी न्यूनांश तक क्षत्रियों के रक्त में रम रहा है यही कारण है कि जगदारम्भ से अभी तक क्षत्रियों का राज्य स्थिर है ये विद्या राजा प्रजाओं में स्वस्ति सुख शान्ति स्थिति और सुख पूर्वक आयुस वर्धक प्रबन्धों की कुशलता सिखलाती है । इस विद्या का पूर्ण ज्ञान अद्वितीय है इसीलिये चक्रवर्ती सम्राट सूर्य इक्ष्वाकु मनु आदिकों ने इसको सर्वो परी विद्या कही है, ये वही क्षात्र विद्या है जिसके For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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