Book Title: Raichandra Jain Shastra Mala Syadwad Manjiri
Author(s): Paramshrut Prabhavak Mandal
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 11
________________ ओं यथार्थवादिने श्रीवर्द्धमानाय नमः । रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायां श्रीमल्लिषेणसूरिप्रणीता स्याद्वादमञ्जरी श्रीजवाहरलालशास्त्रिविनिर्मितहिन्दीभाषानुवादसहिता (अनुवादकस्य मङ्गलाचरणम्।) यस्य श्रीमुखभूरुहात्समुदितां स्यादादगन्धान्वितां सज्ज्ञानाम्रफलप्रदां मुनिपिका आखाद्य वाङ्मञ्जरीम् । ऊचुर्यन्मधुरं जनास्तदखिलं श्रुत्वात्र मिथ्यादृशां ___ काकानां विरसं जहुः प्रलपनं तं सन्मतिं नौम्यहम् ॥ १॥ श्रीहेमचन्द्रयतिभिर्निजबुद्धिवीजादुत्पादिता स्तुतिलतातपवारिणी या॥ संवर्च युक्तिसलिलैर्मुनिमल्लिषेणः स्याद्वादमञ्जरियुतां किल तां चकार ॥२॥ गीर्वाणगीनयनहीनजनान्विलोक्य तल्लाभतो विरहितानतिखिन्नचित्तः॥ -

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