Book Title: Pruthvichandra Charitram
Author(s): Satyaraj Gani, Mangalvijay
Publisher: Chandulal Punamchand

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पत्रम् १२ २८ ३१ ३५ ३७ ३८ ३९ ४१ ४२ "" ४६ ५०. श्लोकः ४७ ३८ १० १०२ १४९ १९१ २०० २५९. २८२. २८७ ५ መሬ अशुद्धम् कुमार - प्यहो ? - गोचरम अक्षेप्सीत् -धुय पाद भर्च - न त -राय द्रव्य पर्वाप्याम् -शनान् शुद्धम् . कुमारं - यहो ! - गोचरम् अक्षैप्सीत् -धुर्य पादं भर्तृ न ते के -रायं द्रव्यं पूर्वाप्याम् -शनात् www.kobatirth.org पत्रम् ५१ ५२ ५३ ५४ ५६ 27 ५७ ५८ "7 ६४ ६८ ७० For Private and Personal Use Only श्लोकः १२ २५ ६४ ८२ १०० १३ २० ४१ ५९ ७४ ३७ ३५ ७२ अशुद्धम् . कि त्वेष -निष्टो नातिदर -कृत - यितु - भतां नित्य -तात्मा पाल - -तात्माऽपाल -सुनु तस्थुषे गत्वा त Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साथवाहः -प्रमुख शुद्धम्· -भूतां नित्यं किंत्वेप -निष्ठो नातिदूर -कृते -यितुं -मृनु तस्थुष गत्वा तं सार्थवाहः - प्रमुख

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