________________
ला०
पत्रे १४५ २४७
(१४) अशुद्धि यां विष्ठता .
अदि येषां
१७
करता
.
तिष्ठना करना सब तरह मोह हटाकर निनमें आदि रात्रिको भाशक्तिके वश भीतर भी विषयको
अब तरह २९७ १ मोह
॥ २१ आदि २८१ २ भाशक्तिके २८८
यकी ३९० २९८ २१
पदमिद २०९ १० आदिक ३१२ नीचेसे। कारण ३१३ नीचेसे मास्त
नौकर्म समार....
नोकर्म ।
संसारं मोह.... पदमिद मादिकका करण मास्ते
और आत्मामें मूदता दूर करनेके लिये ज्ञान मारुहिडे गाथा २० से ८८तक नै गलत हैं यहांतक ८९ चाहिये । प्रेरणा
२१७ १० ३२०गाथा८८
भारुहिं
३२१
३
रणा