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श्रीप्रवचनसार भाषाटीका . [३७ कुंडलको तोड़कर नम पाली बनायेंगे तो कुंडलसे बालीका आकार भिल ही होगा । इस पलटनको आकारका पलटना कहते हैं। द्रव्यमें या उसके गुणोंमें पर्याय दो प्रकारकी होती हैं-एक स्वभाव पर्याय दूसरी विभाव पर्याय । स्वभाव पर्याय सदृश सदश . एकसी होती है स्थूल दृष्टिमें भेद नहीं दिखता । विभाव पर्याय विसदृश होती है इससे प्रायः स्थूल दृष्टि से विदित होनाती है । जैन सिद्धांतने इस जगतको छः द्रव्योंका समुदाय माना है। इनमेसे धर्म, अधर्म, आकाश, काक तथा सिद्धशुद्ध सब जीव सदा स्वभाव परिणमन करते हैं। इन द्रव्यों के गुणोंमें विसहश विभाव परिणमन नहीं होता है। सदा ही एक समान ही पर्यायें होती हैं। किन्तु सर्व संसारी जीवोंमें पुद्गलके सम्बन्धसे विभाव पर्याय हुमा करती हैं तथा पुद्गलमें जम कोई अधिभागी परमाणु जघन्य अंश साचिक्कणता व रूक्षताको रखता है अर्थात अबंध अवस्थामें होता है तब यह स्वभाव परिणमन करता है । परंतु अन्य परमाणुओंसे बंधनेपर स्कंध अवस्था विभाव परिणमन होता है । यद्यपि स्वभाव परिणमन हमारे प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर नहीं है तथापि हम विभाव परिणमन मंसारी जीव तथा पुदलोंमें देखकर इस घातका अनुमान फरसते हैं कि द्रव्योंमें स्वभाव परिणमन भी होता है, क्योंकि नव परिणमन स्वभाव दस्तु होगो तब ही उसमें विमान परिणमन भी होसक्ता है। यदि परिणमन घभाव द्रव्यमें न हो तो अन्य किसो द्रव्यमें ऐसी शक्ति नहीं है जो बलात्कार किसीमें परिणमन करा सके । काठके नीचे हरा लाल डाँक लगानेसे हरा लाल नगीना नहीं चमक सक्ता है क्योंकि काठमें ऐसी परिणमन शक्ति