________________
3. तेण समाणु सनेहें लइया, रायहं चउ सहास पव्वइया । (2.11 प च )
-उसके साथ चार हजार राजाओं के द्वारा स्नेहपूर्वक प्रव्रज्या ली गई। 4. सिय कहो समाणु एक्कु वि पउ ण गय । (33.5 प च.)
- लक्ष्मी किसी के साथ भी एक कदम नहीं गई । 5. पइं विणु को पलङ्क सुवेसइ । (2 3 4 प.च.)
-तुम्हारे बिना कौन पलंग पर सोवेगा?
(3) 1. सिरिमाल-रणाम तहो तणिय दुहिय । (7.1 प.च.)
-श्रीमाला नाम की उसकी कन्या है। 2. सिरिकण्ठ-णामु रिणव-मेहुणउ । (6.1 प.च.)
-- श्रीकण्ठ नाम का राजा का साला था। 3. परमेसर दुज्जउ दुठ्ठ खलु चन्दोवरु गामें अतुल वलु । (12.1 प.च.)
-हे परमेश्वर ! चन्द्रोदर नाम का अतुल बलशाली दुष्ट खल दुर्जय (है)। 4 गामेण सयंपहु णयह किउ । (9.13 प च.)
-स्वयंप्रभ नाम का नगर बसाया गया ।
(4) 1. तं वयणु सुणेवि पलम्व-बाहु । रणं चन्दाइच्चहुँ कुविउ राहु । (4.5 प च.)
-उसके वचन को सुनकर बाहुबलि क्रुद्ध हुआ, मानो राहु सूर्य और चन्द्र
से क्रुद्ध हुप्रा हो । 2. दुक्खु दुक्खु हरि दमिउ परिन्दें । रग मयरद्धउ परम-जिणिन्दें ।
(5.4 प.च.) - राजा के द्वारा बड़ी कठिनाई से घोड़े वश में किए गए, मानो जिनेन्द्र के
द्वारा कामदेव वश में किया गया है । 3. महि-मण्डले सीसु दीसइ असिवर-खण्डियउ । णावइ सयवतु तोडेवि हमें
छंडियउ । (7.5 प.च.) - तलवार के द्वारा खण्डित किये हुए सिर पृथ्वीतल पर दिखाई देते हैं,
मानो हंस के द्वारा कमल तोड़कर छोड़ दिए गए हों। 4. दिठ्ठ दसासेण सेयसेण णावइ रिसहु भडारउ । (1 5.6 प च.)
- रावण के द्वारा (मुनि) देखे गए मानो श्रेयांस के द्वारा प्रादरणीय ऋषभ (देखे गए हों)।
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
[ 25
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org