Book Title: Praudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 181
________________ (1) (2) 88. वह = धारण करना 89. वा बजाना 90. विज्ज = हवा करना 91. विहज्ज - विनाश = करना 92. विहस == हँसना 93. संभर = याद करना 94. संमाण = श्रादर करना xxxviii] Jain Education International (3) वहि, वहिउ, वहिवि, वहवि, वहेवि, वहेविणु, हेप, व वाइ, वाइउ, वाइवि, वावि, वावि, वाविणु, वापि, वाएपिणु विज्जि, विज्जिउ, विज्जिवि, विज्जवि, विज्जेवि, विज्जेविणु, विज्जेप्पि, विज्जेपिणु विहज्जि, विहज्जिउ, विहज्जिवि, विहज्जवि, विहज्जेवि, विहज्जेविणु, हिज्जेपि, विहज्जेप्पिणु विहसि, विहसिउ, विहसिवि, विसवि, विहसेवि, विहसे विणु, विहसेप्प, विहसेष्पिणु संभरि, संमरिउ, संभरिवि, संभरवि, संभरेवि, संभरेविणु, संभप्पि, संभरेष्पिणु संमाण, संमाणि, संमाणिवि, संमाणवि, संमावि, संमाणे विणु, संमाणेपि संमाणेपिणु (4) वहेवं, वहण, वहणहं, वह हिं, वहेवि, वहेविणु, हेप्प, वहेपि For Private & Personal Use Only वाएवं, वाण, वाश्रणहं, वाश्रणह, वाएवि, वाएविणु, वाप्पि, वाएप्पिणु विज्जेवं, विज्जण, विज्जणहि, विज्जर हं, विज्जेवि, विज्जे विणु, विज्जेप्पि, विज्जेपिणु विहज्जेव, विहज्जण, विहज्जणहं, विहज्जण हि, विहज्जेवि, विहज्जेविणु, विहज्जेप्पि, व्हिज्जे प्पिणु विहसेवं, विसरण, विहसणहं, विहसणहिं, विहसेवि, विहसे विणु, विहसेप्प, विहसेपिणु संभरेवं, संभरण, संभरणहं, संभरणहि, संभरेवि संभरेविणु, संभरेप्पि, संभरेष्पिणु संमाणेवं, संमाणण, संमाणहि संमाणणहं, संमावि, संमाविणु, समाप्पि, संमाणेपिणु [ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ www.jainelibrary.org

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