Book Title: Praudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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(1) (2)
95. समप्प=== अर्पण
करना
96. सर खिसकना
97. सुरण = सुनना
98. सोह= शोभना
99. हर हरण करना
100. हो = होना
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(3)
समपि, समपिउ,
समपिवि, समपवि,
समपेवि, समविणु,
समप्पेपि समपेपिणु
सरि, सरिउ, सरिवि, सरवि, सरेवि, सरेविणु, सरेप, सरेपणु
सुण, सुणिउ, सुणिवि, सुणवि, सुणेवि, सुणेक्षिणु सुपि सृणेपिणु
"
सोहि सोहिउ, सोहिवि, सोहवि, सोहेवि, सोहेविणु, सोहेप्पि, सोहेप्पणु
हरि, हरिउ, हरिवि, हरवि, हरेवि, हरेविणु, हरे हरेपणु
"
होइ, होइन, होइवि हो, होएवि, होए विणु, होएप्पि, होएप्पिणु
(4)
समप्पेवं, समप्पण,
समपहं, समप्पण है, समध्येवि, समप्पेविणु, समप्पेपि, समपेपिणु
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सरेवं, सरण, सरणहं, सरण, सरेवि, सरेविणु, सरेष्पि, सरेणु
सु, सुण, सुणणहं, सुणणहि सुणेषि, सुणेविणु, सुप
सोहेवं, सोहण, सोहणहं, सोहनहि, सोहेवि, सोहेविणु, सोहेप्प, सोहेपि
हरेवं, हरण, हरणहं, हरणह, हरेवि, हरेविणु, हरेपिप, हरेष्पिणु
होएवं, होश्रण, होप्रणहं, हो, होएवि, होए - विणु, होएप्पि, होएप्पिणु
[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ
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