Book Title: Praudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 177
________________ (1) (2) (3) (4) 76. रम-बनाना रइ, रइउ, रइवि, रअवि, रएवि, रएविणु, रएप्पि, रएप्पिणु रएवं, रमण, रमणहं, रअहिं, रएवि, रएविणु, रएप्पि, रएप्पिणु 77. रूत-रूसना रूसि, रूसिउ, रूसिवि, रूसवि, रूसेवि, रूसेविणु रूसेप्पि, रूसेप्पिणु रूसेवं, रूसण, रूसणहं, रूसहि, रूसेवि, रूसेविणु, रूसेप्पि, रूसेप्पिणु 78. रोस=गुस्सा करना रोसि, रोसिउ, रोसिवि, रोसवि, रोसेवि, रोसेविणु, रोसेप्पि, रोसेप्पिणु रोसेवं, रोसण, रोसणह, रोसहिं, रोसेवि, रोसेविणु, रोसेप्पि, रोसेप्पिणु 79. लप-लेना लइ, लइउ, लइवि, लएवं, लप्रण, लअणहं, लअवि, लएवि, लएविणु, लणहिं, लएवि, लएविणु, लएप्पि, लएप्पिणु लएप्पि, लएप्पिणु 80. लंघलांघना लंघि, लंघिउ, लंघिवि, लघेवं, लंघण, लंघणहं, संघवि, लंघेवि, लंघेविणु, लंघहिं, लंघेवि, लंघेविणु, लंधेप्पि, लंघेप्पिणु लंघेप्पि, लंघेप्पिणु 81. लग्ग-लगना लग्गि, लग्गिउ, लग्गिवि, लग्गवि, लग्गेवि, लग्गेविणु, लग्गेप्पि, लग्गेप्पिणु लग्गेवं, लग्गण, लग्गणहं, लग्गहि, लग्गेवि, लग्गेविणु, लग्गेप्पि, लग्गेप्पिणु xxxiv ] [ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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