Book Title: Praudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 175
________________ - - (1) (2) - 69. मण-मानना (3) मरिण, मणिउ, मणिवि, मणेवं, मणण, मणणहं, मणवि, मणेवि, मणेविणु, मणणहि, मणेवि, मणेविणु, मणेप्पि, मणेप्पिणु मणेप्पि, मणेप्पिणु 70. मर-मरना मरि, मरिउ, मरिवि, मरवि, मरेवि, मरेविणु, मरेप्पि, मरेप्पिणु मरेवं, मरण, मरणहं, मरणहिं, मरेवि, मरेविणु, मरेप्पि, मरेप्पिणु 71. मार-मारना मारि, मारिउ, मारिवि, मारेवं, मारण, मारणहं, मारवि, मारवि, मारेविणु, मारणहिं, मारेवि, मारेविणु, मारेप्पि, मारेप्पिणु मारेप्पि, मारेप्पिणु 72. मिल-मिलना मिलि, मिलिउ, मिलिवि, मिलेवं, मिलण, मिलणहं, मिलवि, मिलेवि, मिले- मिलणहिं, मिलेवि, मिलेविणु, मिलेप्पि, मिलेप्पिणु विणु, मिलेप्पि, मिले प्पिणु 73. मुग्र=छोड़ना मुइ, मुइउ, मुइवि, मुप्रवि, मुएवि, मुएविणु, मुएप्पि, मुएप्पिणु मुएवं, मुअण, मुअणहं, मुअणहिं, मुएवि, मुएविणु, मुएप्पि, मुएप्पिणु 74. मुच्छ = मूच्छित होना मुच्छि, मुच्छिउ, मुच्छिवि, मुच्छवि, मुच्छेवि, मुच्छेविणु, मुच्छेप्पि, मुच्छेप्पिणु मुच्छेवं, मुच्छण, मुच्छणहं, मुच्छणहिं, मुच्छेवि, मुच्छेविणु, मुच्छेप्पि, मुच्छेप्पिणु 75. मेल्ल-छोड़ना मेल्लि, मेल्लि उ, मेल्लिवि, मेल्लेवं, मेल्लण, मेल्लणहं, मेल्लवि, मेल्लेवि, मेल्ले- मेल्लणहिं, मेल्लेवि, मेल्लेविणु, मेल्लेप्पि, मेल्लेप्पिणु विणु, मेल्लेप्पि, मेल्लेप्पिणु xxxii ] [ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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