Book Title: Praudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 178
________________ (5.1) (5.2) (6) (7) रएव्वउं, रइएब्बउं, रअन्त, रममाण रइन, रइय रइअव्व, रएअव्व रएवा रूसन्त, रूसमाण रूसिव्व, रूसेअव्व रूसेव्वउं, रूसिएव्वळ, रूसेवा रूसिअ, रूसिय रोसिअव्व, रोसेअव्व रोसेव्वलं, रोसिएव्वलं, रोसेवा रोसन्स, रोसमाण रोसिम, रोसिय लअन्त, लइभ, लइय लइअव्व, लएअव्व लएव्वळ, लइएव्वउं, लएवा लप्रमाण लंघिन, लंघिय लंघिअव्व, लंघेअव्व लंघेव्वउं, लंघिएव्वलं, लंघन्त, लंघमाण लंघेवा लग्गिप्रज्व, लग्गेव्वउं, लग्गिएम्वउं, लग्गन्त, लग्गमाण लग्गेअव्व लग्गेवा लग्गिय, लग्गिय प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ] [ xxxv Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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