Book Title: Praudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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56. परिचिन्त=चिन्तन परिचिन्ति, परिचिन्तिउ, परिचिन्तेवं, परिचिन्तरण,
करना परिचिन्तिवि, परिचिन्तवि, परिचिन्तणह, परिचिन्ताह,
परिचिन्तेवि, परिचिन्ते. परिचिन्तेवि, परिचिन्तेविणु, परिचिन्तेप्पि,
विणु, परिचिन्तेप्पि, परिचिन्तेप्पिणु
परिचिन्तेप्पिणु
57. परिण=विवाह
करना
परिणि, परिणिउ, परिणिवि, परिण वि, परिणेवि, परिणेविणु, परिणे प्पि, परिणेप्पिणु
परिणेवं, परिगण, परिणणहं, परिणणहिं, परिणेवि, परिणेविणु, परिणेप्पि, परिणेप्पिणु
58. परिभमभटकना
परिभमि, परिभमिउ, परिममेवं, परिभमण, परिभमिवि, परिममवि, परिभमणहं, परिभमणहिं, परिममेवि, परिममेविणु, परिभमेवि, परिभमेविणु, परिभमेप्पि, परिभमेप्पिणु परिममे प्पि, परिभमेप्पिणु
59. परियाण-जानना
परियाणि, परियाणिउ, परियाणेवं, परियाणण, परियाणिवि, परियाणवि, परियाणणहं, परियाणाह, परियाणेवि, परियाणेविण, परियाणेवि, परियाणेविणु, परियाणेप्पि, परियाणेप्पिणु परियाणेप्पि, परियाणेप्पिणु
60. पसर=फैलना
पसरि, पसरिउ, पसरिवि, पसरवि, पसरेवि, पसरेविणु, पसरेप्पि, पसरेप्पिणु
पसरेवं, पसरण, पसरणहं, पसरणहिं, पसरेवि, पसरेविणु, पसरेप्पि, पसरेप्पिणु
61. पाव-पाना
पावि, पाविउ, पाविवि, पावेवं, पावण, पावणहं, पाववि, पावेवि, पावेविणु, पावहिं, पावेवि, पावेविणु, पावेप्पि, पावेप्पिणु पावेप्पि, पावेप्पिणु
xxviii ]
[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ
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