Book Title: Praudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 172
________________ (5.1) (5.2) परिचिन्तिव्व, परिचिन्तेव्वउं, परिचिन्तेव्व परिचिन्ति एव्व ं, परिचिन्तेवा परिणिव्व, परिव्वजं, परिणिएव्वजं, परिणेअश्व परिणेवा परिभमिव्व, परिभमेव्वउं, परिभमेव्व परिममिव्वउं, परिभमेवा परियाणिव्व, परियाणेव्वउं, परियाणेव्व परियाणिएव्वउं, परियाणेवा पसरिश्रव्व, पसरेअव्व, पाविप्रव्व, पावेश्रव्व पावेष्वउं, पाविएव्वजं, पावेवा प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ 1 (6) परिचिन्तन्त, परिचिन्तमाण Jain Education International परिणन्त, परिणमारण परिभमन्त, परिभममाण परियाणन्त, परियाणमाण पसरेव्वउं, पसरिएव्वउ, पसरन्त, पसरमाण पसरित्र, पसरिय पसरेवा पावन्त, पावमाण (7) परिचिन्तिन, परिचिन्तिय For Private & Personal Use Only परिणि, परिणिय परिभमिश्र, परिभमिय परियाणिय, परियाणिय पावित्र, पाविय [ xxix www.jainelibrary.org

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