Book Title: Praudh Apbhramsa Rachna Saurabh Part 1
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 169
________________ (1) (2) (3) 50. दा-देना दाइ, दाइउ, दाइवि, दावि, देवि, देविणु, देप्पि, देप्पिणु देवं, दाण, दाणहं, दामणहिं, देवि, देविणु, देप्पि, देप्पिणु 51. धर=धारण करना धरि, धरिउ, धरिवि, धरवि, धरेवि, धरेविणु, धरेप्पि, घरेप्पिणु घरेवं, घरण, धरणहं, घरणहिं, धरेवि, धरेविणु, घरेप्पि, घरेप्पिणु 52. धिक्कार=धिक्कारना धिक्कारि, धिक्कारिउ, धिक्कारेवं, धिक्कारण, धिक्कारिवि, धिक्कारवि, धिक्कारणहं, धिक्कारणहिं, धिक्कारेवि, धिक्कारेविणु, धिक्कारेवि, धिक्कारेविणु, धिक्कारेप्पि, धिक्कारेप्पिणु धिक्कारेप्पि, धिक्कारेप्पिणु 53. पइसर=प्रवेश करना पइसरि, पइसरिउ, पइसरिवि, पइसरवि, पइसरेवि, पइसरेविणु, पइसरेप्पि, पइस रेप्पिणु पइसरेवं, पइसरण, पइसरणहं, पइसरणहिं, पइस रेवि, पइसरेविणु, पइसरेप्पि, पइसरेप्पिणु 54. पड = गिरना पडि, पडिउ, पडिवि, पडवि, पडेवि, पडेविणु, पडेप्पि, पडेप्पिणु पडेवं, पडण, पडणहं, पडणहिं, पडेवि, पडेविणु, पडेप्पि, पडेप्पिणु 55. पणव=प्रणाम करना पणवि, पणविउ, पणविवि, पणवेवं, पणवण, पणवणहं, पणववि, पणवेवि, पणवर्णाह, पणवेवि, पणवेविणु, पणवेप्पि, पणवेविणु, पणवेप्पि, पणवेप्पिणु पणवेप्पिणु xxvi ] [ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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