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32. गयउ पणासेवि पच्छिम भायहो । (5.4 प.च.) - पश्चिम भाग को नाश करके गया ।
33. तहो दाहिण-भाए भरहु थक्कु । (1.11 प.च.) - उसके दक्षिण भाग में भरत क्षेत्र स्थित ( है ) |
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ ]
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माय (पु) पच्छिम (वि)
भान (पु.) दाहिण (वि.)
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