Book Title: Prashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Mahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali

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Page 12
________________ I TELELE NEL मा P ALA A LEEEEEEEEEEमानामामामाIIEIIEIFIEDEFIFIFIERREMEME में इस परम्परा के आचार्यो/उपाध्यायों/मुनिराजों/अन्य साधकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित किया गया है। इस खण्ड में प्रखरवक्ता और आगम मनीषी श्री पं. नीरज जैन (सतना) का आलेख-'सविनय नमोऽस्तु' आचार्य | श्री के जीवन की विस्तृत घटनाओं को उजागर करता है। स्मारिका प्रकाशन - के बाद छाणी जी के साथ रहे उन्हीं के शिष्य ब. भगवानसागर द्वारा लिखित आचार्यश्री की एक जीवनी मिली, पुरातन हिन्दी में थी इसका अनुवाद डॉ. कासलीवाल ने किया है। साथ ही कासलीवाल जी द्वारा लिखित एक अन्य लेख, कासलीवाल जी की सुदीर्घ साहित्य-साधना का परिणाम है। प. - महेन्द्रकुमार ऐसे व्यक्तित्व हैं जो अनेक वर्षों तक आचार्य श्री के साथ रहे। उनका आलेख-'प्रशान्तमूर्ति आचार्य श्री शान्तिसागर (छाणी) व्यक्तित्व एवं कृतित्व' जितना प्रामाणिक है उतना ही रोचक भी। प. भगवती प्रसाद वरैया एवं स्मृतिशेष पं. भंवरलाल जी न्यायतीर्थ के लेख आचार्य सूर्यसागर महाराज 21 के व्यक्तित्व एव कृतित्व को उजागर करने में सफल हैं। डॉ. प्रकाशचन्द्र इन्दौर एवं श्री बाबूलाल चुन्नीलाल गाधी ईडर ने आचार्य विमलसागर एवं - आचार्य सुमतिसागरजी की जीवन झाँकियां प्रस्तुत की हैं। इसी खण्ड में डॉ. कासलीवाल एवं डॉ. नीलम जैन के आलेख उपाध्याय श्री ज्ञानसागर महाराज के चुम्बकीय व्यक्तित्व को दिग्दिगन्त व्यापी बनाने में पूर्णत: सक्षम हैं। जैन धर्म के प्रभावक आचार्य नामक तीसरे खण्ड में आचार्य जोइन्दु, कुन्दकुन्द, जिनसेन, पूज्यपाद, वीरसेन, गुणधर, नेमिचन्द्र, वादीभसिह, रविषेण पर तत्-तत् विषयों के अधिकारी विद्वानो ने जो निबन्ध लिखे हैं। वे उन-उन आचार्यों के समग्र अवदान को रेखाकित करने के साथ-साथ लेखको के के निकषोपल भी हैं। चतुर्थ खण्ड विविधा में डॉ. कासलीवाल का लेख-'मुस्लिम युग के जैन आचार्य ऐतिहासिक तथ्यों को संजोये हैं। जैन-बौद्ध दर्शन के उद्भट विद्वान् पं. उदयचन्द जी वाराणसी का-'अष्ट सहस्री' (विद्वानों में भी कष्टसहस्री नाम से विख्यात) पर आलेख उनके तलस्पर्शी वैदुष्य को प्रकट करता है। श्रावकाचार, भक्तामर, पुराण, भगवान महावीर, विश्वशान्ति, शाकाहार आदि o BAR E H | RAI ELSLSLS . w Endom XII प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ AIR-RHI 14545454545454545454545454545 IFIPIRIT

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